केस डायरी क्या है
– वास्तव में जब कोई अपराध घटित हो जाता है तब उस अपराध की सूचना थाने में दी जाती है । जब थाने में दी गयी सूचना से सम्बंधित अपराध गंभीर प्रकृत का होता है अर्थात cognizable होता है तो F.I.R. दर्ज कर ली जाती है और अन्वेषण अधिकारी द्वारा अन्वेषण प्रारम्भ कर दिया जाता है । अन्वेषण अधिकारी अन्वेषण के अनुक्रम में जो भी अपराध से सम्बंधित एविडेंस पाता है उसे सेक्शन 172 [1] के अनुसार केस डायरी में लिखता जाता है । उदहारण के लिए सेक्शन 161 के अधीन उसके द्वारा लिए गए बयानों को केस डायरी में दर्ज किया जाता है .
केस डायरी का क्या उपयोग है –
सवाल यह है की केस डायरी की उपयोगिता क्या है , क्या इसका उपयोग न्यायालय में एविडेंस के रूप में किया जा सकता है । इसका जबाब हमे सेक्शन 172 में मिल जाता है , जिसमे बताया गया है की कोर्ट, केस डायरी का उपयोग एविडेंस के रूप में नहीं कर सकता वह इसका उपयोग मात्र इन्क्वॉयरी या ट्रायल में अपनी हेल्प के लिए कर सकता है ।
क्या अभियुक्त को केस डायरी की कॉपी पाने का अधिकार है –
सामान्य उत्तर यह है की न तो अभियुक्त न ही उसका एजेंट केस डायरी की कॉपी प्राप्त कर सकते है न ही केस डायरी को देख सकते है । किन्तु इसका एक अपवाद यह है की यदि जिस अन्वेषण अधिकारी ने उसे लिखा है यदि अपनी स्मृति ताजा करने के लिए केस डायरी को देखता है तो एविडेंस एक्ट की धरा 161 या 145 लागू होगी।
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