श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ Shreya singhal case in hindi

श्रेया सिंघल वाद Freedom of Speech and Expression से सम्बंधित महत्वपूर्ण निर्णय है । इस निर्णय के द्वारा सोशल मीडिआ पर विवादित कमेंट्स या कार्टून पोस्ट करने पर अरेस्ट करने का हथियार बनी Section 66A को सुप्रीम कोर्ट ने ख़त्म कर दिया । दरसल यह मामला 2012 में उस समय तूल पकड़ा जब श्री बाला साहेब ठाकरे की मृत्यु के उपरांत उनकी अंतिम यात्रा को लेकर पालघर की शाहीन ने कमेंट किया था, जिसे रानू ने लाईक कर दिया था , जिसके कारण उन दोनों को धरा 66A के उलंघन के आधार पर अरेस्ट कर लिया गया था । इस मामले में ही यह वाद आर्टिकल 32 के अंतर्गत श्रेया सिंघल द्वारा संस्थित किया गया था ।

रिट याचिका (दाण्डिक) संख्या 167 वर्ष 2012 

(साथ में 9 अन्य याचिकाएं)। 

निर्णय तिथि 24 मार्च, 2015

Bench – जे. चेलमेश्वर और आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्तिगण। 

 

प्रावधान- 

Indian Constitution, 1950- अनुच्छेद 19 (1) क और 19 (2) – वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इसकी सीमाएं।  सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 -धारा (2) (v) और 66 A कम्यूटर या संचार सेवाओं (इंटरनेट और मोबाइल इत्यादि) से संदेश भेजने की स्वतंत्रता और आपराधिकता का निर्धारण. Section 66A के अंतर्गत यह उपबंध किया गया था की computer or other electronic device के माध्यम से किसी offensive information को प्रेषित करने वाला ब्यक्ति दंड का भागी होगा । इसी प्रकार का उपबंध  केरल पुलिस अधिनियम, 2011 – धारा 118 (d) के अंतर्गत किया था.

Fact-

इस रिट याचिका के साथ अन्य याचिकाएं संविधान के अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत सूचना तकनीक अधिनियम. 2000 के धारा 66A एव 69A के प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अधीन freedom of speech and expression के संविधानिक मूल स्वतंत्रता तथा अनुच्छेद 14 और 21 के मी उल्लंघन में होने के तर्क पर असंवैधानिक घोषित किए जाने के लिए प्रस्तुत की गई थी। याचिकाएं प्रस्तुत किए जाने का मुख्य कारण यह था कि अनेक याचीगणों को कम्प्यूटर के माध्यम (इण्टरनेट) से सूचना को सोशल मीडिआ के माध्यम से प्रेषित करने से कानून द्वारा रोका गया था। Section 66A के अंतर्गत कुछ आपराधिक nature की इनफार्मेशन को प्रेषित करना दंडनीय अपराध घोषित किया गया था ।

वास्तव में धारा 66A Information Technology Act, 2000 के मूल अधिनियम में नहीं था। इसे वर्ष 2009 के संशोधन के द्वारा जोड़ा गया था और 27.9.2010 से प्रभावी होते हुए लागू किया गया था। अन्य याचिकाओं के माध्यम से धारा 69A के साथ अन्य प्रावधानों को भी असंवैधानिक घोषित किए जाने का अनुरोध उक्त याचिकाओं के द्वारा किया गया था. 

 

निष्कर्ष – ( Conclusion निर्णय सार

माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने अभिनिर्धारित किया की सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 66-A और केरल पुलिस अधिनियम, 2011 की धारा 118 (d) संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अन्तर्गत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं अतः दोनों प्रावधान असंवैधानिक हैं। यह समय सूचना क्रांति का है । प्रत्येक ब्यक्ति को बोलने की आजादी के अंतर्गत सोशल मीडिआ पर अपने बिचार रखने की आजादी भी शामिल है ।

(1) सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 के धारा 66A को पूर्णतः अनुच्छेद 19 (1) (क) के उल्लंघन में होने के कारण निरस्त (struck down) किया जाता है और यह धारा अनुच्छेद 19 (2) के द्वारा संरक्षित नहीं है। 

(2) सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 69A और सूचना तकनीक (जनता द्वारा सूचना की पहुँच के अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा) नियमावली, 2009 Constitutional है.

Reference-

1- the Indian express
2- Live Law

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