धरम पाल बनाम हरियाणा राज्य 2014 SCC के मामले में सर्वोच्च न्यायलय ने धारित किया की कोई मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट , अंतिम रिपोर्ट 173[2] से असहमत हो सकता है और अपना मस्तिष्क प्रयोग करते हुए संज्ञान ले सकता है, दूसरे सब्दो में मजिस्ट्रेट अंतिम रिपोर्ट से बाध्य नहीं होता है वह स्वतंत्र रूप से अपने मस्तिष्क का प्रयोग कर सकता है और यदि उसे लगता की अपराध करीत हुआ है तो संज्ञान ले सकता ।
क्या मजिस्ट्रेट अन्य एजेंसी के द्वारा reinvestigation हेतु निर्देश देने का छेत्राधिकार रखता है –
उक्त मामले में न्ययायालय ने धारित किया की मजिस्ट्रेट धारा 173[8] के अंतर्गत पुनः अन्वेषण का आदेश नहीं दे सकता है , केवल further investigation का आदेश दे सकता है ।