गहरवार, गहड़वाल, राठौर, क्षत्रिय राजपुत्र भगवान् श्री राम के वंसज है । गहरवार वंश की स्थापना 1090 ईस्वी में चंद्रदेव ने कलचुरी राजपूत राज्य के पतन के बाद स्थापित किया । चंद्रदेव गहरवार ने राजपूत परिहार शासक को पराजित करके कन्नौज पर अपना राज्य स्थापित किया । गहरवार मुख्यतः राष्ट्रकूटों के वंशज है । कन्नौज में गहरवार वंश की स्थापना के कुछ वर्षो पहले [ 753 से 982 ईस्वी तक] राष्ट्रकूटों का शाशन था । चंद्रदेव गहरवार ने महाराजाधिराज की उपाधि भी ग्रहण किया था । जयचंद्र इस वंश के कन्नौज शाखा के अंतिम शासक थे । जयचंद्र ने गुजरात के सोलंकी राजपूत शासको एवं तुर्को को कई बार पराजित किया था ।
गहरवार शासको ने कन्नौज शाखा के पतन के बाद भी उत्तर भारत पर बहुत समय तक राज्य किया और अपनी राजधानी वाराणसी को बनाया । आजादी के पूर्व तक मिर्ज़ापुर बनारस में इनकी रियासते थी । गहरवार शासको को काशी नरेश की उपाधि प्राप्त थी । क्रुक के अनुसार जयचंद्र की हत्या के बाद उनके पोते ने मिर्जापुर में स्थित कोठरा कंतित बिजयपुर में अपनी रियासत को स्थापित किया । वर्तमान में भी कोठरा कंतित ग्राम सभा बिजयपुर ब्लॉक मिर्जापुर में स्थित है । बिजयपुर ब्लॉक में गहरवार राजपूत बहुतायत में पाए जाते है । कोठरा कंतित में स्थित गहरवार आज भी अपनी विरासत पर गर्व करते है । क्रूक अपने आर्टिकल में लिखते है की वर्तमान समय में गहरवार राजपूतो में उच्च स्थान पर है । उनके अनुसार गहरवार अपनी कन्या का विवाह बघेल, बिसेन और चंदेल के यहां करते है जबकि पुत्रो का विवाह बैस, बसगोती, गौतम, परिहार एवं चौहानो के यहाँ करते है । किन्तु कोठरा कंतित के विनय सिंह गहरवार बताते है की गहरवार अपनी कन्या का विवाह केवल बघेलों एवं चौहानो के यहां ही करते है । विनय सिंह गहरवार के बात की पुस्टि उन्ही के ग्राम सभा के गहरवार राजपूत अमन सिंह ,आर्यन सिंह भी करते है । विजयपुर ब्लॉक में स्थित गांव नीबी गहरवार के निवासी अमित सिंह गहरवार बताते है की विजयपुर ब्लॉक के गौरा ,कोलेपुर, नीबी नौगाव ,कोलेपुर बलुआ, बागजोरावर आदि गावो में 70% आबादी गहरवार क्षत्रियो की पायी जाती है ।
मांडा रियासत के राजा विश्व नाथ प्रताप सिंह एक गहरवार क्षत्रिय थे जो की भारत के प्रधानमंत्री बने । राजपरिवार में जन्म होने के बाद भी उन्होंने दलितों पिछड़ों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया । हरिजन एक्ट एवं पिछड़ों को रिजर्वेशन उन्होंने ही दिया । राजा जी ने 5000 एकड़ भूमि को दलितों पिछड़ों में बाट करके सामाजिक न्याय का अनोखा उदाहरण भारतीय इतिहास में प्रस्तुत किया है ।
गहरवारों की राठौर शाखा –
राठौर राजपूत गहरवारों की एक शाखा है जिसने राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश में लम्बे समय तक शासन किया । 1947 के पूर्व तक भारत में अकेले राठौर राजपूतो की 10 से ज्यादा रियासते थी ।
Reference –
1 Romila Thapar – A History of India
2-Stish Chandra -History of Medieval India
3- Field Survey by Shivani Basgoti
4-Niyogi 1959 P.38,40