आयुक्त हिन्दू बनाम श्री लक्ष्मींद्र तीर्थ स्वामी[16 अप्रैल 1954] के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने धर्म की परिभाषा देते हुए धारित किया – धर्म किसी ब्यक्ति कि या किसी समूह कि आस्था से सम्बंधित होता है। धर्म का तात्पर्य ईश्वर में बिस्वास करने से नहीं होता अर्थात ईश्वर में बिस्वास न करने वाले को अधार्मिक नहीं कहा जा सकता ।